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भावनाओं का सम्मान हो

nagesh khare 'nagi'
nagesh khare 'nagi'
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दुनिया के सभी मुस्लिम बाहुल्य देशों में नियम-कानून ऐसे हैं जिसके अंतर्गत देश के अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों की भावनाओं का सम्मान करना पड़ता है मसलन जुमे की नमाज़ के समय सभी गैरमुस्लिमों को अपनी दुकाने बंद कर सड़क को खाली करना पड़ता है इसके अतिरिक्त और भी तमाम नियम ऐसे हैं जिनका पालन वहाँ रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय को करना ही पड़ता है । इसके विपरीत भारत में बहुसंख्यकों की भावनाओं की रक्षा व सम्मान के लिए कोई नियम-कानून नहीं है । अल्पसंख्यकों की कट्टरता व छदम सेक्युलर नेताओं द्वारा जारी तुष्टीकरण की नीति के चलते देश के सबसे बड़े समुदाय की भावनाओं को तार-तार किया जा रहा है जो अत्यंत दुखद व दुर्भाग्यपूर्ण है । गौमांस भक्षण व गौहत्या की मुगलकालीन कुप्रथा आज भी बदस्तूर जारी है जबकि सनातन धर्म में गाय को अत्यंत पूज्यनीय व माता कहा गया है । मज़हब की दुहाई देकर कुछ लोग गौहत्या का समर्थन कर हिन्दुओं की भावनाओं के साथ दुराचार कर रहे हैं जो एक मज़बूत धर्मनिरपेक्ष देश की धर्मनिरपेक्षता के लिए अत्यंत घातक है | देश में प्रतिदिन करोड़ों गौवंश काटा जा रहा है जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है । कितने शर्म की बात है कि बुद्ध और महावीर स्वामी का देश भारत गौमांस का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है । आये दिन कटने जा रहा गौवंश से लदे ट्रक पकडे जाते हैं जिन्हे तुष्टीकरण के चलते छोड़ दिया जाता है और यह सिलसिला बदस्तूर जारी रहता है । सम्मानित मंच के माध्यम से देश के प्रधानमन्त्री से अपील है कि गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया जाए व गौहत्यारे के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया जाए | —– शुभकामनाओं सहित– नागेश खरे ‘नागी’, बलखण्डी नाका, बाँदा

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